रिश्तों में एक ऐसा भी दर्द छुपा होता है ,
जो रूपये पैसे से दबा होता है
या दबाया गया होता है
जब रूपये पैसे कम होने लगते हैं,
दर्द जागने लगता है ,
रिश्तों में खटास आने लगती है ,
दर्द अपना रास्ता ढूँढने लगता है ,
रिश्ते अपना मतलब खोने लगते है,
रिश्ते बोझ बन जाते हैं,
सब कुछ बंजर सा लगता है
जीवन बंधन सा हो जाता है
बस एक ही रास्ता नजर आता है,
सब कुछ छोड़ कर चले जाना
खुद से भी घृणा होने लगती है
जब कुछ कर नहीं सकते तो मर जाना ही अच्छा लगता है ,