मैं आवारगी
रविवार, 19 सितंबर 2010
यूँ न चाहो मुझे
अनजाना ख्वाब हूँ मैं
ख्वाहिशो में बसा लो मुझे
नजरो में थोड़ी जगह दे दो
यूँ दिल में न उतारो मुझे
सुर्ख मेहँदी हूँ मैं
हथेलियों में सजा लो मुझे
लकीरों के ऊपर थोड़ी जगह दे दो
यूँ मुकद्दर में न निहारो मुझे
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